भोलेबाबा खुश हो जाएंगे,महाशिवरात्रि के अवसर पर इन में से एक उपाय करना ही काफी होगा
महाशिवरात्रि 2024: भगवान शिव की अनन्य भक्ति का उत्सव
महाशिवरात्रि, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान शिव की अनन्य भक्ति और पूजा के लिए समर्पित है। 2024 में महाशिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन, भक्त ब्रह्मामुहूर्त से लेकर रात्रि तक शिव पूजा करते हैं, जागरण और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
निशित काल मुहूर्त
- मध्यरात्रि: 12:07 बजे से 12:55 बजे तक (9 मार्च, 2024)
व्रत पारण मुहूर्त
- सुबह: 06:37 बजे से दोपहर: 03:28 बजे तक (9 मार्च, 2024)
महाशिवरात्रि 2024 के चार प्रहर पूजा का समय:
पहला प्रहर पूजा समय:
- संध्या: 06:25 बजे से रात्रि: 09:28 बजे तक
दूसरा प्रहर पूजा समय:
- रात्रि: 09:28 बजे से प्रात: 12:31 बजे तक (9 मार्च)
तीसरा प्रहर पूजा समय:
- प्रात: 12:31 बजे से 03:34 बजे तक
चौथा प्रहर पूजा समय:
- प्रात: 03:34 बजे से 06:37 बजे तक
इस उपाय से पाएं धन
महाशिवरात्रि के रात्रि में किसी शिव मंदिर में दीपक जलाने का प्रयास करें। शिव पुराण के अनुसार, कुबेरदेव ने अपने पूर्व जन्म में रात्रि के समय शिवलिंग के पास दीपक जलाया था। इस कारण से, उन्हें अगले जन्म में देवताओं के कोषाध्यक्ष के रूप में उत्तम स्थान प्राप्त हुआ। इसी तरह, यदि आप भी शिवलिंग के पास दीपक जलाएंगे, तो आपको भी धन की प्राप्ति हो सकती है।
नौकरी/ व्यापार में तरक्की के लिए
अगर आप चाहें तो शिवरात्रि पर स्फटिक के शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं। घर के मंदिर में जल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर से इस शिवलिंग को स्नान कराएं। फिर, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। इस उपाय को करने से आपको नौकरी या व्यापार में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है।
पारद शिवलिंग
महाशिवरात्रि के अवसर पर छोटा सा पारद (पारा) शिवलिंग लेकर आइए और घर के मंदिर में इसे स्थापित करें। इसके बाद, आपको रोज इसकी पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से आपके घर में दरिद्रता का नाश होता है और लक्ष्मी कृपा बनी रहती है। इससे आपके घर में सुख, समृद्धि, और खुशहाली बढ़ती है।
महाशिवरात्रि का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है और इसे सही ढंग से आचरण करने से आपको अनेक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण नियम और लाभ दिए जा रहे हैं:
नियम:
- महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को उद्यापन समय से पहले से व्रत तीर्थ स्थान पर जाना चाहिए।
- भगवान शिव का पूजन करना चाहिए, जिसमें स्थल पर उपलब्ध चीजों से भोजन का प्रसाद बनाना शामिल है।
- अन्य ग्रहण काल में खाने की वस्तुओं का त्याग करना चाहिए।
- दिनभर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए और उस पर धूप, दीप, बेलपत्र, बिल्वपत्र, अक्षता, रुद्राक्ष, चंदन और जल चढ़ाना चाहिए।
- रात को जागरण करें और शिव भजन गाने चाहिए।
- व्रत के दिन नींद को त्याग कर जागरण करें।
लाभ:
- महाशिवरात्रि के व्रत से शिव पर ही नहीं, बल्कि स्वयं को शुद्ध करने में भी सहायक होता है।
- इसके आचरण से आत्म-विकास और मानवीय समर्पण की भावना बढ़ती है।
- यह व्रत व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
- इस व्रत का आचरण करने से समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
- यह व्रत रोगों से रक्षा करता है और जीवन में स्वास्थ्य और खुशहाली लाता है।
यदि आप महाशिवरात्रि का व्रत उत्तम ढंग से आचरण करेंगे, तो आपको उपर्युक्त लाभ मिलेंगे।
शिवरात्रि पर बेल वृक्ष के नीचे खड़े होकर खीर और घी का दान करने से लोगों को भगवान शिव और माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस उपाय का पालन करने वाले व्यक्तियों को जीवनभर सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं और उनके कार्यों में सफलता मिलती है। यह एक प्राचीन परंपरा में स्थापित उपाय है और लोग इसे अपनाकर अपने जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान करते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन सुहाग चीजें, अनाज का दान करने, और हनुमान चालीसा का पाठ करने का प्राचीन परंपरागत महत्व है। यह उपाय भगवान शिव और भगवान हनुमान की कृपा को प्राप्त करने में सहायक होता है।
- सुहाग चीजें: महाशिवरात्रि के दिन सुहाग की चीजें जैसे गंगाजल, गंगा का पानी, धारा का पानी, चावल, मिठाई आदि का उपयोग किया जाता है। इससे भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
- अनाज का दान: महाशिवरात्रि के दिन अनाज जैसे चावल, गेहूं, दाल आदि का दान करने से भूखमरी से मुक्ति मिलती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
- हनुमान चालीसा का पाठ: हनुमान चालीसा का पाठ करने से भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है और भयंकर संकटों से रक्षा होती है।
इन उपायों का पालन करके भगवान शिव और हनुमान की कृपा प्राप्त की जा सकती है और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति हो सकती है।
दक्षिणी भारतीय पंचांग के अनुसार
दक्षिणी भारतीय पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि माघ मास के कृष्ण पक्ष की चौदहवीं तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के पूजन के लिए विशेष आयोजन किया जाता है और भक्त अपनी शिवभक्ति में लिप्त रहते हैं।
उत्तरी भारतीय पंचांग के अनुसार
उत्तरी भारतीय पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व शिव के समर्पण और उनकी पूजा में भक्ति का महत्वपूर्ण दिन है और लाखों भक्त इस अवसर पर उनका ध्यान और पूजन करते हैं।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि का महत्व अत्यंत उच्च है। इस दिन भगवान शिव की कृपा, उनकी आशीर्वाद, और उनकी अनुग्रह की प्राप्ति के लिए भक्त विशेष पूजा और व्रत अनुष्ठान करते हैं। यह पर्व भगवान शिव के नाम पर अनेक धार्मिक कथाओं, पौराणिक कथाओं, और विभिन्न पूजा पद्धतियों का महान समर्थन करता है।
समाप्ति
इस विशेष दिन पर, हम सभी को भगवान शिव की अनन्य भक्ति के साथ उनका समर्थन करना चाहिए और उनकी कृपा को प्राप्त करने की कामना करनी चाहिए। महाशिवरात्रि के इस पवित्र अवसर को सभी के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के साथ मनाने का आभास होना चाहिए।