कर्नाटक में मां ने अपने 6 वर्षीय बेटे को मगरमच्छों से भरी नहर में फेंका,बच्चे की मौत!
बेंगलुरु: शनिवार 5th May 2024, को कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में एक दहलानेदेने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 26 वर्षीय महिला ने अपने 6 वर्षीय बोलने में असमर्थ बेटे को मगरमच्छों से भरी नदी में फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार, यह घटना शनिवार को डांडेली तालुक में हुई। इस घटना ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है और महिला के इस क्रूर कृत्य की हर जगह निंदा की जा रही है।
पुलिस की प्रारंभिक जांच के अनुसार, आरोपी महिला, सावित्री, और उसके पति रवि कुमार (27) के बीच उनके बड़े बेटे की शारीरिक अक्षमता को लेकर अक्सर झगड़े होते थे। उनका बड़ा बेटा जन्म से ही बोलने में असमर्थ था। रवि कुमार अक्सर इस बात पर अपनी पत्नी से झगड़ा करता और उसे ताने मारता कि उसने एक विकलांग बच्चे को जन्म क्यों दिया।
रवि ने कई बार कथित रूप से सावित्री से यह भी कहा था कि “बच्चे को फेंक दो।” इसी मानसिक दबाव और निराशा के चलते, शनिवार की शाम को झगड़े के बाद सावित्री ने अपने बड़े बेटे को काली नदी से जुड़ी मगरमच्छों से भरी एक बेकार नहर में फेंक दिया।
पुलिस के अनुसार, दंपति का एक दो वर्षीय दूसरा बेटा भी है, जो स्वस्थ है। लेकिन बड़े बेटे की स्थिति को लेकर पति–पत्नी के बीच अक्सर विवाद होते रहते थे। शनिवार शाम को हुए ताजे झगड़े के बाद, सावित्री ने आवेश में आकर अपने बोलने में अक्षम बेटे को मगरमच्छों से भरी नहर में फेंक दिया।
घटना की जानकारी मिलने के बाद,पुलिस ने बताया कि मौत के सही कारण का पता लगाने के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. इस मामले में जांच की जा रही है.पति–पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है और शव को बरामद करने के लिए प्रयास शुरू किए। स्थानीय लोगों के बीच इस घटना से रोष है और वे महिला की इस निर्दयी हरकत की निंदा कर रहे हैं।
इस घटना ने विकलांगता के प्रति समाज के दृष्टिकोण और मानसिक स्वास्थ्य पर गहराई से सोचने की जरूरत को उजागर किया है।
इस घटना ने कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले को झकझोर कर रख दिया है और समाज में गहरी संवेदना और आक्रोश पैदा कर दिया है। एक मां द्वारा अपने ही बच्चे के साथ इस तरह का क्रूर व्यवहार करना न केवल दुखद है, बल्कि यह समाज में मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंधों और विकलांगता के प्रति जागरूकता की आवश्यकता पर भी सवाल उठाता है। पुलिस की कार्रवाई के बावजूद, इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मानसिक स्वास्थ्य सहायता और विकलांग बच्चों को समझने और उनके साथ संवेदनशीलता से पेश आने की आवश्यकता है। हमें ऐसे मामलों को रोकने के लिए समाज में जागरूकता और सहानुभूति बढ़ाने की दिशा में सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा।